पत्थर के भगवान
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| पत्थर के भगवान |
चलना पडा घर छोड के अब, पत्थर के भगवान को ।
देख ले अब घूम घूम
के, जालिमे इंसान को।।
जो रहबरी और राहजनी से, लोगो को भरमाते
है।
जो लुटते भगवान को, आशीष भी फरमाते है।।
छानते है खाक
अब वो, मंदिरों को छोड के ।
शैतान के संग चल
पडे, भक्तो से नाता तोड के ।।
अब सोचते है हम यहॉ कि, खेल कौन दिखलायेगा
।
जो बेसुधे शैतान के, हाथों खुद खेला
जाएगा।।
लेखक : डा. बैजनाथ उपाध्याय
मो. : 9955754359

Awesome..loved your work ...keep up the good work
ReplyDeleteNICE POEM PAPA
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