स्व0 अटल बिहारी बाजपेयी जी को श्रद्धांजलि के दो शब्द!


स्तब्ध भारत देखता, नैनो से आंसू झर रहे थे।
16/8/18 को जब अटल बिहारी मर रहे थे।। 

          एक अकेला चल दिए, फिर कारवाँ बनता गया।
          हर गली हर शहर में, कमल पूष्प खिलता गया।।

 जश्ने आज़ादी मन रही थी, प्राण को रोके रहे।
 भीष्म पितामह के तरह ही, काल को टोके रहे।।

         श्रधांजलि देने के लायक, शब्द भी मिलते नही।
         कुछ तो ऐसे फूल हैं जो, हर समय खिलते नहीं।।

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